हायर सेकेंडरी स्कूल तक के छात्र-छात्राओं को ठंड से बचाने स्वेटर जूते मोजे एवं रेनकोट देने की है जरूरत

कक्षा 12वीं तक के छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तक देने के निर्णय का स्वागत

हाईस्कूल एवं हायर सेकेंडरी में भी शुरू की जाए मध्यान्ह भोजन योजना

ठंड में ठिठुरते ग्रामीण स्कूलों के बच्चे

शिक्षक डायरी

खबर आई है कि छत्तीसगढ़ की नवगठित विष्णु देव साई सरकार ने मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना के तहत अब अनुसूचित जाति जनजाति के मेधावी छात्रों नियमित कक्षा दसवीं एवं बारहवीं बोर्ड परीक्षा में मेरिट स्थान पर आने वाले छात्रों की प्रोत्साहन राशि 15000 रुपए से बढ़ाकर ₹25000 करने का निर्णय लिया गया है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में अब कक्षा नवमी में दर्ज सभी छात्र एवं छात्राओं को सरस्वती योजना के तहत निःशुल्क साइकिल दिया जाएगा वही 12वीं तक के सभी छात्र-छात्राओं को निःशुल्क पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराई जाएगी। ग्रामीण अंचल में एक शिक्षक के रूप में पदस्थ होने के कारण मेरे लिए यह अत्यंत सुखद एवं राहत देने वाली खबर है तथा मैं छत्तीसगढ़ शासन के इस निर्णय का दिल से स्वागत करता हूं।

इधर छत्तीसगढ़ में पड़ रही कड़ाके की ठंड से उत्तरी छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में स्कूलों का टाइमिंग बदल दिया गया है।जिस तरह से उत्तर से सर्द हवाओं का झोंका आ रहा है उसे नहीं लगता की अभी जल्दी से पारा ऊपर चढ़े इसलिए कह सकते हैं कि अभी छत्तीसगढ़ में सर्दी कम होने वाली नहीं है।


छत्तीसगढ़ में कड़ाके की सर्दी पड़ना कोई नई बात नहीं है। हमारे छत्तीसगढ़ राज्य की बनावट थी कुछ इस तरह है कि यहां बारिश में अच्छी बारिश गर्मी में अच्छी गर्मी तथा ठंड के दिनों में अच्छी ठंड पड़ती है। भूगोल एवं जलवायु तथा प्रकृति के प्रति चेतना रखने वाले लोगों से पूछा जाए तो वे यही कहेंगे कि ऋतुओं के हिसाब से यह अच्छा ही है कि जैसी ऋतु वैसा मौसम। प्रकृति की भी यही खूबसूरती है। जिस राज्य में अरपा ,पैरी , शिवनाथ, हसदेव,सोन, सोढुंर इंद्रावती महानदी जैसी कल कल नदियां बहती हो, जो राज्य साल वनों से घिरा हुआ हो, जहां के जमीन में कोयला हो वहां ठंड तो पड़ेगी ही इसमें आश्चर्य जैसी कोई बात नहीं। दरअसल में बात कर रहा था ठंड के कारण स्कूलों में ठंड के कारण छात्रों की कम होती दर्ज संख्या के बारे में। वनांचल क्षेत्र में पड़ रही भीषण ठंड के कारण स्कूलों की उपस्थिति में स्वाभाविक रूप से गिरावट आई है । भीषण ठंड और उस पर कम कपड़े बच्चों के स्वास्थ्य खराब होने का कारण बन रहे हैं शायद यही कारण है कि बीते दिसंबर माह में ही प्रशासन ने दो पाली में चलने वाले स्कूलों की टाइमिंग में परिवर्तन कर दिया था ताकि छात्र-छात्राओं को ठंड के कारण दिक्कत ना हो। शिक्षक शिक्षकों के बीच में भी तेजी से बढ़ी ठंड एवं बगैर स्वेटर और गर्म कपड़ों के आते छात्र छात्राओं को देखकर आपस में इस बात की चर्चा विशेष रुप से होती थी कि बच्चे ठंड में अकड़े जा रहे हैं। मेरी जानकारी में अनेक शिक्षक शिक्षिकाओं ने अपने स्तर पर कुछ छात्र छात्राओं को स्वेटर इत्यादि भी दिए। कुछ समाजसेवी संस्थाओं एवं मानवीय दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्तियों जैसे समाजसेवी सत्य प्रकाश फरमानिया विनोद सोनी सुनील छजलानी के द्वारा भी स्कूलों में जाकर स्कूली छात्र छात्राओं को गर्म कपड़े दिए परंतु जितना जो कुछ जिन लोगों ने भी किया वह स्कूलों एवं छात्र-छात्राओं की संख्या को देखकर पर्याप्त नहीं था।

हमारे छत्तीसगढ़ का ग्रामीण इलाका जंगलों से घिरा हुआ है जहां ज्यादातर अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के लोग निवास करते हैं। मेरे अपने अनुभव एवं जानकारी के अनुसार इन वर्गों में 10% को छोड़कर ज्यादातर लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। वनांचल क्षेत्र में तो अनेक ग्रामीण परिवार अलाव के सहारे ही रात बिताते हैं। पूरा परिवार अलाव के पास ही सोता है।इसे आर्थिक स्थिति से ना भी जोड़ा जाए तो भी कृषक एवं मजदूर वर्ग अपनी परिस्थितियों के कारण गर्म कपड़े खरीदने में उतनी रुचि नहीं दिखाता जितना अन्य तरह की चीजों मैं खर्च करता है। सबसे खास बात यह है कि सरकार द्वारा शिक्षा के प्रचार-प्रसार के कारण इस बार के बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ी है। सरकार द्वारा छात्राओं के लिए चलाई गई सरस्वती सायकल योजना, निशुल्क पाठ्य पुस्तक भेजना एवं छात्रवृत्ति योजना से बच्चों में खासकर लड़कियों में शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है । खासकर छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद स्कूलों छात्र छात्राओं की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। मतलब तमाम तरह की बाधाओं को पार कर अब बच्चे पढ़ने के इच्छुक हैं शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं परंतु भौगोलिक एवं प्राकृतिक बाधाओं का क्या उपाय है?

कुछ वर्ष पूर्व मैंने अपने अनुभव के आधार पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था कि छत्तीसगढ़ के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को ठंड से बचाव के लिए स्वेटर एवं बारिश से बचाव के लिए रेनकोट की व्यवस्था सरकारी तौर पर की जाए। यह मांग रखने पर कई तरह की टिप्पणियों सामने आई थी परंतु मैं अभी भी इस मांग पर कायम हूं ।मुझे लगता है कि इसमें बुराई कुछ नहीं है। मुझे इसमें छात्र-छात्राओं का हित दिखता है। अभी स्थिति यह है कि ठंड में बच्चों को तमाम तरह की बात बोलने के बाद भी वे स्वेटर पहन के नहीं आते यह सोच कर कि पुराना है, रंग बिरंगा है या पहन कर सोने से खराब हो गया है परंतु यदि सरकार ही जब एक तरह का स्वेटर बच्चों को वितरित करेगी तो वह ड्रेस कोड की ही तरह होगा और बच्चों को भी उसे स्कूल पहनकर आने में रुचि बनेगी। हालांकि हमारे द्वारा लगातार मांग उठाए जाने के बाद छात्रावासों में सरकारी तौर पर स्वेटर वितरण किए जाने की व्यवस्था बनाई गई है परंतु हम चाहते हैं कि यह स्कूल स्तर पर लागू हो ताकि स्कूल के दिनों में बच्चे ठंड से परेशान ना हो। इसी तरह बारिश के दिनों में छात्र छात्राओं को स्कूल आते समय बारिश से बचने के लिए रेनकोट का वितरण किया जाए ताकि उनके स्कूल आने में बाधा न पड़े। बारिश से भीग जाने के बावजूद गीले कपड़े बच्चे क्लास में बैठकर पढ़ते हैं। अभी दिसंबर महीने में कड़ाके के ठंड के 1 दिन मैं जब दूसरे टाइम ठंड के कारण अवकाश देने की बात कह रहा था तब एक छात्रा ने अत्यंत निराश एवं बुझे स्वर में मुझसे कहा सर छुट्टी मत करिए स्कूल चालू रहना चाहिए। मैं बच्चे की भावना समझ रहा था उसे घर पर रहने की बजाए स्कूल आना, पढ़ना लिखना अच्छा लगता है । ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों के पढ़ाई के प्रति रुझान को देखते हुए मेरा सुझाव है कि मध्यान भोजन योजना हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल में भी प्रारंभ हो। शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में यह बड़ा कदम होगा।

आगामी 5 फरवरी से छत्तीसगढ़ में विधानसभा सत्र प्रारंभ होने वाला है ऐसे में चाहता हूं कि कोई हमारी मांग को सरकार के ध्यान में ला दे। हमारी मांग है कि स्कूली छात्र छात्राओं को ठंड से बचने स्वेटर जूते मोजे एवं बारिश से बचने रेनकोट वितरण की व्यवस्था सरकारी तौर पर की जाए ताकि बच्चों की पढ़ाई में बाधा ना पड़े। हमारे छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति वर्ग के होने होने के साथ ऐसे क्षेत्र से आते हैं जो वनांचल एवं पिछड़ा क्षेत्र कहलाता रहा है तथा वह इस वर्ग एवं क्षेत्र की समस्या से भली भांति अवगत है ऐसे में हमारी यह मांग पूरी ना हो इसमें कोई संदेह का कारण नहीं है।

5 जनवरी 2024

अक्षय नामदेव ,संकुल प्राचार्य शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सकोला विकासखंड पेंड्रा जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही छत्तीसगढ़ मोबाइल 94062 13643

Akhilesh Namdeo

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