मीसाबंदी स्व श्री गणेश चतुर्वेदी को सम्मान देना भूल गए , परिजनों ने जताई नाराजगी
बेटे श्रीकांत चतुर्वेदी ने कहा ओछी राजनीति की पराकाष्ठा
गौरेला पेंड्रा मरवाही

आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर जहां देशभर में मीसाबंदियों को सम्मानित किया गया, वहीं पेंड्रा के मीसाबंदी स्वर्गीय गणेश प्रसाद चतुर्वेदी को जिला स्तरीय कार्यक्रम में भूल जाना प्रशासन की बड़ी चूक बन गई। इस उपेक्षा से उनके परिजनों ने गहरी नाराजगी जताई है।
गौरतलब है कि स्व. गणेश प्रसाद चतुर्वेदी 1975 की इमरजेंसी के दौरान बिलासपुर जेल में मीसा एक्ट के तहत बंद थे। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे और आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया था। इससे पहले 1949 में भी उन्हें सत्याग्रह के चलते रायगढ़ जेल भेजा गया था।

25 जून को गौरेला जनपद सभागार में आयोजित संविधान हत्या दिवस कार्यक्रम में जिले के मीसाबंदियों और उनके परिजनों को शाल व श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया। लेकिन इस सूची में चतुर्वेदी जी का नाम न होने से उनके पुत्र श्रीकांत चतुर्वेदी ने प्रशासन पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि “यह राजनीति की ओछी मानसिकता का प्रतीक है, कोई किसी का नाम मिटा नहीं सकता। लेकिन जिले में जब एक मीसाबंदी का नाम नजरअंदाज होता है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।”

उन्होंने यह भी कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि वे ऐसे संघर्षशील परिवार से हैं, पर इस तरह की उपेक्षा बेहद दुखद है। कार्यक्रम में उपस्थित जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी इस चूक को नहीं देख सके, जो चिंता का विषय है। परिजनों ने मांग की है कि भविष्य में ऐसी गलती दोहराई न जाए और स्व. गणेश प्रसाद चतुर्वेदी को मरणोपरांत सम्मानित किया जाए।


