भ्रष्टाचार के आरोपों पर सिम्स प्रशासन मौन क्यों?जांच में दोषी पाए गए डॉ. बी.पी. सिंह के खिलाफ अब तक कार्यवाही नहीं
शिकायतकर्ता शक्ति बघेल — बेलगहना निवासी सामाजिक कार्यकर्ता की पहल पर हुआ खुलासा

बिलासपुर, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित सरकारी चिकित्सा संस्थान सिम्स (SIMS), बिलासपुर में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनियमितता और सेवा आचरण उल्लंघन के गंभीर मामले में उच्च स्तरीय जांच के बावजूद अब तक कोई प्रशासनिक कार्यवाही न होना कई सवाल खड़े करता है।

इस पूरे मामले को उजागर करने बेलगहना (बिलासपुर) निवासी एवं सामाजिक कार्यकर्ता शक्ति बघेल को, जिन्होंने सिलसिलेवार तरीके से सूचनाएं एकत्र कर गंभीर शिकायत दर्ज करवाई थी बघेल ने लोकहित में कार्रवाई की मांग करते हुए समूचे स्वास्थ्य तंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं, किए गए शिकायत में
डॉ. बी.पी. सिंह पर लगे प्रमुख आरोप:
शासकीय सेवा में रहते हुए बिना अनुमति निजी डिप्लोमा, MBA व अन्य पाठ्यक्रम करना LIC जैसी निजी कंपनी में पैड कंसल्टेंट रहना,

रेलवे अस्पताल में समानांतर नौकरी व वेतन लेना, मेडिकल ऑक्सीजन खरीदी में टेंडर शर्तों का उल्लंघन व वित्तीय गड़बड़ी, शासकीय वाहन का निजी उपयोग और साथ ही कन्वेन्स अलाउंस लेना, निजी लैब संचालन, जबकि सिम्स में निजी प्रैक्टिस प्रतिबंधित है
अघोषित संपत्ति, अवैध रूप से संपत्ति क्रय, तथा आय से अधिक संपत्ति, हड़ताल/धरना प्रदर्शन में संलिप्तता और अधिकारियों की आज्ञा उल्लंघन, जैसी शिकायत की मुख्यमंत्री, गृह मंत्री छत्तीसगढ़ शासन को कि गई थी जिसपर सिम्स के ही तीन वरिष्ठ डॉक्टरों की जांच समिति (डॉ. कमल किशोर सहारे, डॉ. आरती पांडेय, डॉ. रविकांत दास) ने रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से डॉ. बी.पी. सिंह को दोषी पाया है और कहा है कि “उनका आचरण बर्खास्तगी योग्य है, उन्होंने गंभीर आर्थिक व नैतिक गड़बड़ियों को अंजाम दिया है।”

जब शिकायतकर्ता द्वारा दी गई शिकायत पर उच्च स्तरीय समिति ने आरोपों की पुष्टि कर दी, तब भी कई महीनों से शासन-प्रशासन इस पर मौन क्यों है?
क्या डॉ. सिंह को कोई राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है?
क्या यह भ्रष्टाचार को मौन स्वीकृति देने जैसा नहीं?सामाजिक कार्यकर्ता शक्ति बघेल ने कहा कि

“यह मामला केवल एक डॉक्टर का नहीं, बल्कि शासन की पारदर्शिता, स्वास्थ्य व्यवस्था की शुचिता और जनधन की सुरक्षा से जुड़ा है। शासन को चाहिए कि वह तत्काल कार्रवाई करे, अन्यथा यह चुप्पी बड़े घोटालों का संकेत हो सकती है।”
उन्होंने मांग कि हैं कि
डॉ. बी.पी. सिंह को तत्काल निलंबित/बर्खास्त किया जाए,मामले को EOW या लोकायुक्त को सौंपा जाए,NPA और वेतन की वसूली की प्रक्रिया शुरू हो,निजी लैब संचालन व LIC कंसल्टेंसी के आय की जांच व रिकवरी हो,सिम्स जैसे संस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति लागू हो।

यह सिर्फ भारी वेतन पाने वाले एक डॉक्टर की अनियमितता नहीं, बल्कि शासन की नाक के नीचे चल रहे भ्रष्ट तंत्र की कहानी है।

