महाशक्ति भी मानता है, मोदी की मजबूती अहम खुलासा

अमेरिका की शुरू से एक नीति रही है जिस देश से लाभ हो उस देश के साथ व्यापार और राजनैतिक संबंध मधूर रखने की भरपूर कोशिश करता है भले सत्ता की कमान किसी भी पार्टी के हाथ में हो अन्तर्राष्ट्रीय संबंध के लिहाज से सभी एक ही राग सूर अपनाते है। ट्रम्प और मोदी की दोस्ती बड़ी चर्चा का विषय होता रहा है। वजह एशिया में ट्रम्प को अपनी बादशाहत रखने के लिये मोदी के दरवाजे हाजरी लगानी ही थी। फ़िलहाल ट्रम्प का कार्यकाल ख़त्म हो चूका है एक गुप्त दस्तावेज सार्वजनिक हुआ है ,जिसमे भारत की बड़ती हनक और उसकी साख का जिक्र है
भारत की बढ़ती शक्ति और चीन के खिलाफ उठाए गए कदमों से अमेरिका काफी प्रभावित है. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा सार्वजनिक किए गए एक गोपनीय दस्तावेज में कहा है कि भारत में चीन की उकसाने वाली कार्रवाई का जवाब देने की क्षमता है. दस्तावेज में आगे कहा गया है कि मजबूत भारत समान सोच रखने वाले देशों के सहयोग से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के खिलाफ शक्ति संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
भारत पसंदीदा साझेदार
10 पृष्ठीय दस्तावेज को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रोबर्ट ओ’ब्रायन ने सार्वजनिक किया था और अब इसे व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर भी पोस्ट किया गया है. हिंद प्रशांत के लिए ‘US स्ट्रैटेजिक फ्रेमवर्क’ नामक डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि भारत सुरक्षा मामलों पर अमेरिका (America) का पंसदीदा साझेदार है. दोनों देश दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया और आपसी चिंता वाले अन्य क्षेत्रों में समुद्री सुरक्षा बनाए रखने और चीनी प्रभाव को रोकने में सहयोग करते हैं. भारत में सीमा पर चीन द्वारा की जाने वाली उकसावे की कार्रवाई का जवाब देने की क्षमता है.
‘नेतृत्व की भूमिका निभा रहा भारत’
दस्तावेज में आगे कहा गया है कि भारत दक्षिण एशिया में अग्रणी है और वह हिंद प्रशांत की सुरक्षा बनाए रखने में नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है. वह दक्षिण पूर्व एशिया में मौजूदगी बढ़ा रहा है और इस क्षेत्र में यूएस के अन्य सहयोगियों के साथ आर्थिक, रक्षात्मक एवं राजयनिक सहयोग को विस्तार दे रहा है. दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि मजबूत भारत एक जैसी सोच रखने वाले देशों के सहयोग से चीन के खिलाफ शक्ति संतुलन बनाने का काम करेगा.
चीन से मुकाबले में सक्षम
इस ‘फ्रेमवर्क’ में एक बड़े रक्षा साझेदार के तौर भारत का दर्जा बढ़ाने के लिए रक्षा तकनीक के हस्तांतरण की क्षमता को विस्तार देने, क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी साझा चिंताओं पर सहयोग बढ़ाने और भारत की मौजूदगी हिंद महासागर से आगे बढ़ाने को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखा गया है. इतना ही नहीं, US डॉक्यूमेंट में परमाणु आपूर्ति समूह में भारत की सदस्यता को सहयोग देने की बात कही गई है. इसमें कहा गया है कि राजनयिक, सैन्य और खुफिया माध्यमों से भारत को सहयोग दिया जाना चाहिए, ताकि चीन के साथ सीमा पर विवाद सहित महाद्वीप की चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सके. साथ ही इसमें भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और अग्रणी वैश्विक शक्ति बनने की उसकी महत्कांक्षाओं को समर्थन देने भी जिक्र है.
भले ही बाइडन के हाथों अमेरिका की सत्ता चली गई है लेकिन भारत के साथ संबंध मधूर ही रखना पड़ेगा वजह एशिया में अपनी व्यापारिक और राजनितिक कूटनीति की शाख को बचाये रखना है तो भारत के सहयोग के बिना ये संभव नहीं है।
