धान बेचने आए किसानों से ही करवाई पल्लेदारी, किसान ही अपना धान तौलते रहे, बोरी सिलते रहे और छल्ली लगाते रहे
धान खरीदी केंद्र के प्रभारी अधिकारी ने प्रति क्विंटल 18 रुपए बचाने किया किसानों का शोषण
जिले के धान खरीदी केंद्र में 3 महीने से हो रहा है किसानों का शोषण
मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गोदान एवं कर्मभूमि के किसान पात्रों को आज भी जी रहा है मरवाही का किसान, शोषण का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा

अखिलेश नामदेव
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के धान खरीदी केंद्र बंशीताल में केंद्र प्रभारी ने प्रति क्विंटल 18 रुपए बचाने के लिए बीते 3 महीने से धान बेचने आए किसानों से ही पल्लेदारी करवाते रहे। धान खरीदी केंद्र में बेचने आए किसान ही बोरी सिलते रहे , धान तौलते रहे और धान के बोरी की छल्ली लगाते रहे। किसानों के शोषण का यह पूरा माजरा अधिकारियों के सामने से होकर गुजर गया परंतु किसी ने इसे संज्ञान नहीं लिया।

गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में किसाने की बदतर स्थिति है जिनकी स्थिति प्रख्यात कहानी एवं उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गोदान एवं कर्मभूमि के पात्रों से मिलती-जुलती है। आजादी के पहले लिखा गया प्रेमचंद जी के उपन्यास के पात्रों को आदिवासी अंचल मरवाही का किसान आजादी के 75 साल बाद आज भी जी रहा है जहां उनके शोषण की इंतहा हो गई है। किसानों के शोषण की एक बानगी
धान खरीदी विपणन वर्ष 2023-24 में गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के मरवाही के दानीकुंडी, बंसीताल में सामने आई है जहां किसानो से उनके द्वारा लाए गए धान की तौलाई , बोरा सिलाई, बोरा जमाने, और छल्ली लगवाने का काम किसानों से ही कराया जा रहा है जबकि इन सब कार्यों के लिए 17.76 रुपया प्रति क्विंटल की दर से शासन से सहकारी समितियां को भुगतान किया जा रहा है।समिति में नियुक्त जिम्मेदार अधिकारी किसानों द्वारा स्वेक्षा से किया गया काम बात कर पल्ला झाड़ रहे हैं।

किसानों का एक-एक दाना खरीदने का दावा करने वाली सरकारों का जमीनी अमला किसानों के साथ जिस तरह शोषण कर रहा है यह बार-बार सामने आ रहा है। दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार किसानों का धान खरीदने एवं उसकी व्यवस्था बनाने के लिए सहकारी समितियां को ₹17.76 रुपया प्रति क्विंटल की दर से भुगतान प्रासंगिक व्यय के रूप में करती है जिसमें सहकारी समितियां को बरसात से बचने के लिए तिरपाल रस्सी के साथ-साथ चौकीदारी, और किसानों के द्वारा धान खरीदी केंद्र में धान लाकर बोरा भर कर देने के बाद से धान को तौलाई बोरा जमाने, बोरा सिलने और छल्ली लगाने का काम सम्मिलित है पर जिले के धान खरीदी केंद्रों में सहकारी समितियां और उनके प्रबंधक शासन द्वारा मिलने वाले इस पैसे को हजम कर जाते हैं, जब किसान अपना धान लेकर समिति में पहुंचता है तो किसानों के मजदूरों से ही खरीदी केंद्र प्रभारी धान की तोलाई से लेकर छल्ली लगाने तक का काम करवा लेते है, खरीदी केंद्र में पहुंचे किसान बताते हैं कि वह धान बेचने के लिए 8 से 12 मजदूर तक लेकर आते हैं जिन्हें 200 रुपए प्रतिदिन की दर से भुगतान भी किसान ही करता है और यही मजदूर सारा काम करते हैं समिति के मजदूर तो सिर्फ खाली बोरा देने का ही काम करते हैं… इस तरह प्रति किसान लगभग 200 से 300 रुपए प्रतिदिन की दर से सिर्फ अपने मजदूरों का ही भुगतान करता है जबकि इस कार्य का भुगतान समिति को करना है।

धान खरीदी केंद्रो में किसानों का धान सुचारू रूप से खरीदा जाता रहे इसके लिए शासन प्रशासन ने अलग-अलग स्तर और अलग-अलग विभाग के अधिकारियों की तैनाती भी धान खरीदी केदो में कर रखी है जिसमें कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ राजस्व विभाग के पटवारी भी सम्मिलित है पर इन सब की आंखों के सामने किसानों से पिछले तीन महीने से लगातार ठगी की जा रही है। खरीदी केंद्र प्रभारी यह जरूर बताते हैं की खरीदी केंद्र में धान की बोरी भरकर देने के बाद धान का वजन करने से लेकर बड़ा सिलने और छल्ली लगाने तक का सारा काम समिति के पल्लेदारों को करना है जिसके लिए उन्हें 17.76 रुपए प्रति क्विंटल मिलता है पर किसान सुरक्षा से ही अपने मजदूरों से यह सारा काम कर देता है… खरीदी केंद्र प्रभारी ने सच स्वीकार किया पर कृषि विभाग के नोडल अधिकारी तो किसानों को ही झूठ ठहरने में लग गए । उन्होंने कह दिया कि किसान पत्रकारों को देखकर झूठ बोलते हैं यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा है हालांकि जब उनसे पूछा गया कि समिति में धान तौलने वाले कितने पल्लेदार हैं तब उन्होंने बताया कि दो पल्लेदार जबकि खरीदी केंद्र में 10 से ज्यादा किसानों के धान की तलाई हो रही थी इस पर उनका जवाब गोल-माल रहा।

जिले में धान खरीदी केदो में निगरानी से लेकर व्यवस्था बनाने के लिए कई लेयर की व्यवस्था बनाई गई जिसमें अलग-अलग विभागों के विभाग अध्यक्ष की लगातार निगरानी जांच और व्यवस्था बनाने का काम सोपा गया जिसमें विपणन संघ के अधिकारी राजस्व अधिकारी कृषि विभाग के अधिकारी पीडब्ल्यूडी के अधिकारी सहित कई विभाग के अधिकारी सम्मिलित है पर इन सभी अधिकारियों की नाक के नीचे जिस तरह से किसानों के साथ धान खरीदी के पूरे सीजन में ठगी होती रही है परंतु अब मीडिया में यह मामला सामने आने के बाद जिम्मेदार अधिकारी बगलें झांक रहे हैं।
